Govind Dev Ji ke Holi ke Bhajan - होली का भजन

 कानूड़ा छोड़ रे, छोड़ रे कानूड़ा रे रंग मत तू ना डाल

कानूड़ा रे आँख्या में पडगी गुलाल ।।स्थाई।। कानूड़ा छोड़ रे, छोड़ रे कानूड़ा रे रंग मत तू ना डाल कानूड़ा रे आँख्या में पडगी गुलाल ।।स्थाई।। कर सोला सिणगार आयी थानै साम्हों ठाडो पायी नजरा था सै खूब बचाई देख लिया रे मूनै ग्वाल ...।।1।। मानी मानी होली आई थानै घणी मस्ती छाई एकली छू में लुगाई कर दिया म्हारा बेहाल...।।2।। बरसाणा में खेलण आज्यो ग्वाल्या ने भी संग में ल्याज्यो देखूली कैया बचजाज्यो ऐसों दिखाऊली कमाल...।।3।। म्हारा संग में सखियाँ सारी मारेली थांके पिचकारी छोडूली नहीं गिरधारी रंग भीनी दूयूली थारा गाल...।।4।। होली का थे छो खिलाड़ी म्हाने समझया खूब अनाड़ी ऐसी पड़ूली पिछाड़ी ओ रे 'रूप' का रसाल ....।।5।।
कर सोला सिणगार आयी थानै साम्हों ठाडो पायी नजरा था सै खूब बचाई देख लिया रे मूनै ग्वाल ...।।1।। मानी मानी होली आई थानै घणी मस्ती छाई एकली छू में लुगाई कर दिया म्हारा बेहाल...।।2।। बरसाणा में खेलण आज्यो ग्वाल्या ने भी संग में ल्याज्यो देखूली कैया बचजाज्य ऐसों दिखाऊली कमाल...।।3।। म्हारा संग में सखियाँ सारी मारेली थांके पिचकारी छोडूली नहीं गिरधारी रंग भीनी दूयूली थारा गाल...।।4।। होली का थे छो खिलाड़ी म्हाने समझया खूब अनाड़ी ऐसी पड़ूली पिछाड़ी ओ रे 'रूप' का रसाल ....।।5।।

Comments

Popular posts from this blog

मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला

Govind Dev ji Bhajan : नंद बाबा रा लाडला होली का रसिया सांवरा थारो गोपी रूप बणास्याँ आवरै आवरै

घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या नगरी फूल रही