घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या फूल रही॥ बागा फूल बग़ीचा फूल्या, फूल रही बनराइ, पूरी अयोध्या ऐसी फूली, फूली कौशल्या हरी की माया, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या फूल रही॥ पहले भाई भरत सूं मिलिया, पीछे कैकई माई, अवधपुरी का सबसू मिलिया, मिलिया कौशल्या हरी की माय, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या नगरी फूल रही॥ उरे गाय को गोबर मंगवाओ, घर आँगन नीपवाओं, माणक मोत्यां चौक पुरावो, कुम्भ कलश भदरावो जी, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या फूल रही॥ सीता राम सिंघासन बैठ्या, लक्ष्मण चँवर ढ़ुलावे, गुरु वशिष्ठ जी पूजा किन्ही, सखियाँ मंगल गावे, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या फूल रही॥ अवधपुरी की सब नर नारी, धरी कलश पर झारी, भर भर मुट्ठी मोहर उवारें, सूरत की बलिहारी, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या फूल रही॥ मात कौशल्या पुछण लागी, कहो लंक की बात, किस विध गढ़ लंका जीती, किस विध ल्याया सीता जाय, अयोध्या नगरी फूल रही, घर आएं हैं लक्ष्मण राम, अयोध्या नगरी फूल रही॥ ठाट बाट लक्ष्मण ने रोक्या, ओघट रोक्य...
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