राघव ललन तेरे कोमल चरण


राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।

राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।


नवरा जीव चरण अरुणारे,
खेलन बिनु पाणहिं पधारे।
नीरज नयन मोद मंगल अयन,
लाल तेरी मैं लेती बलाय।
राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।

रवि कर उदित शीश नहिं छाही,
बदन निरखि सर सिज सकुचाहीं।
सूरज किरण पड़े असरन सरज,
क्यों मुखड़ा नहीं कुम्हलाय।
राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।

लालन यहीं आंगन मिल खेलो,
कल बल वचन तोतरे बोलो।
चितवन चपल चाल मंजुल मचल,
देख सुषमा सरस तरसाय।
राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।

खेलन को अब दूरी न जाओ,
ठुमक-ठुमक पग नाच दिखाओ।
सुन्दर सुवन देव बरसे सुमन आज,
दास गिरधर बल-बलि जाए।
राघव ललन तेरे कोमल चरण,
कहीं कंकड़िया गढ़ी नहि जाए।

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